Constitution Of India, Part -1, Article - 1 to 4 (भारत का संविधान, भाग १, अनुच्छेद- १, २, ३, ४)
भारत का संविधान
हम, भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न समाजवादी, पंथनिरपेक्ष ,लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा समस्त नागरिंकों को
सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक न्याय,
विचार, अभिव्यक्ति, विश्चास, धर्म
और उपासना की स्वतंत्रता,
प्रतिष्ठा और अवसर की समता प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में व्यक्ति की गरीमा और राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करने वाली बंधुताबढाने के लिए
दृढसंकल्प होकर अपनी इस संविधान सभा में आज २६ नवम्बर, १९४९ ई ( मिति मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी, संवत् दो हाजार छह विक्रमी) को एतदद्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मर्पित करते हैं|
भाग १ - संघ और उसका राज्यक्षेत्र
*अनुच्छेद (आर्टीकल )- १, २, ३, ४
अनुच्छेद १ -
संघ का नाम और राज्यक्षेत्र
(१) भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का संघ होगा |
(२) राज्य और उनके राज्यक्षेत्र वे होंगे जो पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट है|
(३) भारत के राज्यक्षेत्र में,-
(क) राज्यों के
राज्यक्षेत्र,
(ख) पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट संघ राज्यक्षेत्र, और
(ग) ऐसे अन्य राज्यक्षेत्र जो अर्जित किए जाएं, समाविष्ट होगे |
अनुच्छेद २ -
नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना |
संसद्, विधि द्वारा, ऐसे निबंधनों और शर्तो पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी |
2 (क) सिक्किम का संघ के साथ सहयुक्त किया जाना | - संविधान (छत्तीसवां संशोधन) अधिनियम. १९७५ की धारा ५ द्वारा ( २६-४-१९७५ से ) निरसित |
अनुच्छेद ३ -
नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों मे परिवर्तन |
संसद् विधि द्वारा -
क) किसी राज्य में उसका राज्यक्षेत्र अलग करके
अथवा दो या अधिक राज्यों को या राज्यों के भागों को मिलाकर अथवा किसी राज्यक्षेत्र को किसी राज्य के भाग के साथ मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकेगी:
(ख) किसी राज्य का क्षेत्र बढा सकेगी;
(ग) किसी राज्य का क्षेत्र घटा सकेगी;
(घ) किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकेगी ;
(ड) किसी राज्य के नाम मे परिवर्तन कर सकेगी;
१ (परंतु इस प्रयोजन के लिए कोई विधेयक राष्ट्रपति की सिफारिश के बिना और जहां विधेयक में अंतविष्ट प्रस्थापना का प्रभाव २ राज्यों में से किसी के क्षेत्र, सीमाओ्र या नाम पर पडता है वहां जब तक उस राज्य के विधान-मडळं द्वारा उस पर अपने विचार, ऐसी अवधि के भीतर जो निर्देश मे विनिर्दिष्ट की जाए य ऐसी अतिरिक्त अवधि के भीतर जो राष्ट्रपति द्वारा उसे निर्देशित नही कर दिया गया है और इस प्रकार विनिर्दिष्ट या अनुज्ञात अवधि समाप्त नही हो गई, संसद् के किसी सदन में पुर:स्थापित नहीं किया जाएगा | )
३(स्पष्टीकरण १ - इस अनुच्छेद के खंड (क) से खंड (ड) मे, " राज्य " के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र है, किंतु परंतुक में " राज्य" के अंतर्गत संघ राज्यक्षेत्र नहीं है |
स्पष्टीकरण २ -खंड (क) द्वारा संसद् को प्रदत्त शक्ति के अंतर्गत किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के किसी भाग को किसी अन्य राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के साथ मिलाकर नए राज्य या संघ राज्यक्षेत्र का निर्माण करना है |
अनुच्छेद ४ -
पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन तथाा अनुपूरक, आनुषंगिक और परिणामिक विषयों का उपबंध करने के लिए अनुच्छेद २ और अनुच्छेद ३ के अधीन बनाई गई विधियां -
(१) अनुच्छेद २ या अनुच्छेद ३ में निर्दिष्ट किसी विधि में पहली अनुसूची और चौथी अनुसूची के संशोधन के लिए ऐसे उपबंध अंतर्विष्ट होंगे जो उस विधि के उपबंध को प्रभावी करने के लिए आवश्यक हों तथा ऐसे अनुपूरक, आनुषंगिक और परिणामिक उपबंध भी ( जिनके अंतर्गत ऐसी विधि से प्रभावित राज्य या राज्यों कें संसद् में और विधान-मंडल या विधान-मंडली में प्रतिनिधित्व के बारे में उपबंध है) अंतर्विष्ट हो सकेंगें जिन्हे संसद् आवश्यक समझे |
(२) पूर्वोक्त प्रकार की कोई विधि अनुच्छेद ३६८ के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नही समझी जाएगी |
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